हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व. ने फरमाया,जो माहे रमज़ानुल मुबारक यह दुआ पड़ेगा अल्लाह तआला उसकी 40 साल की गुनाह को माफ कर देगा,
اللَّهُمَّ رَبَّ شَهْرِ رَمَضَانَ الَّذِی أَنْزَلْتَ فِیهِ الْقُرآنَ وَ افْتَرَضْتَ عَلَی عِبَادِکَ فِیهِ الصِّیَامَ صَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ وَ ارْزُقْنِی حَجَّ بَیْتِکَ الْحَرَامِ فِی عامی هذَا وَ فِی کُلِّ عَامٍ وَ اغْفِرْ لِیَ تِلْکَ الذُّنُوبَ الْعِظَامَ، فَإِنَّهُ لا یَغْفِرُهَا غَیْرُکَ یا رَحْمنُ یا عَلامُ»
अल्लाहुम्मा रब्बा शहरे रमज़ान, अल्लज़ी अन ज़ल ता फ़ीहिल क़ुरआन, वफ़ त रज़ ता अला इबादिका फ़ीहिस्सेयाम, स्वल्ले अला मुहम्मदिन व आले मुहम्मद, वर ज़ुक़्नी हज्जा बैतिकल हराम, फ़ी आमी हाज़ा व फ़ी कुल्ले आम, वग़ फ़िर ली तिल्कज़्ज़ोंनबल इज़ाम, फ़इन्नहू ला यग़ फ़ि रुहा ग़ैरुका या रहमानु या अल्लाम...
तर्जुमा: ख़ुदाया! इस रमज़ान के महीने कि जिसमें नाज़िल किया है, तूने क़ुरआन और वाजिब किया है तूने अपने बन्दों पर इसमें रोज़े, दुरूद भेज मुहम्मद (स) व आले मुहम्मद (अ) पर और नसीब कर मुझे हज अपने बैत-ए-हराम का इस साल और इसके बाद भी हर साल और बख़्श दे मेरे बड़े गुनाहों को क्योंकि नहीं बख़्श सकता उन्हें कोई तेरे सिवा, ऐ मेहरबान, ऐ बड़े जानने वाले...
अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम.